चलिए दिन की शुरुआत कर लेते है
अपने मुर्शद को याद कर लेते है।
टेक लेते हैं माथा इसके चरणों में
अपनी दुनियाँ आबाद कर लेते है।
माना कि ढेर लगा है दिन भर के कामो का
मगर सब के सब इसके बाद कर लेते है।
इसने तो दिला दी है आजादी जन्म मरण से हमको
हम मनमत से खुद को आजाद कर लेते है।
धन निरंकार जी 🙏
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