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10 November, 2014

गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा, इस नु असां अपना लईए
छड नफ़्रत दी खटटी नु, असां प्रेम दी हटटी पा लईए
तोड फ़ोड ईर्षा अत्ते वैर दे भांडे, भाई चारे दा इक्‍क गुल्दस्ता बणा  लईए
इक दूजे दे जो बनण  सहारे, ऐसे फ़ुल्ल इस गुल्लदस्ते विच्च सजा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ..................................

दाते बखशी दात आसाँ नू हुसन ज़वानी अकलाँ दी
क्‍यों न इस तो कम लाईए असां, प्रेम मरियादा भग्ती दे
कर अपनी खवाईशा नु कम जो है इस विच्च शुक्र मना लाईए
करिए बार बार सजदा इस रब्ब नु, अपने तो निचले वल झाती ज़रा कु पा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ...................................

प्रेम दे ढ़ाई अक्षरा दे नाल,अपना जीवन सजा लईए
कॅड के नफ़रत अपने दिल्ला विच्चों प्रेम दी जोत जगा लईए
सुरिन्द्र बट सुतली अपने मॅन दी, विच प्यार दे मोती पा लेइए
एसी सुंदर माला दे नाल सतगुरु नाम ध्या लईए
गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा इस नू ...................................
 
_--- सेवक जी  

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...