हक़ीक़त रूबरू हो तो अदाकारी नही चलती,,
ख़ुदा के सामने बन्दों की मक्कारी नही चलती,,
तुम्हारा दबदबा तो ख़ाली तुम्हारी ज़िंदगी तक है,,
किसी की क़ब्र के अन्दर ज़मींदारी नही चलती...
बुलंदी मिल नही सकती उन्हे जो फक्र करते है,
बुलंदी है उसीकी जो खुदा का शुक्र करते है।
"खुद"में "खुदा को" देखना "ध्यान" है
"दूसरों" में "खुदा को" देखना"प्रेम" है
खुदा को सबमें और सबमें खुदा को देखना ज्ञान है.
ख़ुदा के सामने बन्दों की मक्कारी नही चलती,,
तुम्हारा दबदबा तो ख़ाली तुम्हारी ज़िंदगी तक है,,
किसी की क़ब्र के अन्दर ज़मींदारी नही चलती...
बुलंदी मिल नही सकती उन्हे जो फक्र करते है,
बुलंदी है उसीकी जो खुदा का शुक्र करते है।
"खुद"में "खुदा को" देखना "ध्यान" है
"दूसरों" में "खुदा को" देखना"प्रेम" है
खुदा को सबमें और सबमें खुदा को देखना ज्ञान है.