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22 October, 2015

एक माँ 6 साल के बच्चे को पीटते हुए
बोली,
"नालायक, तूने नीची जात के घर
की रोटी खायी,
तू नीची जात का
हो गया तूने अपना धर्म भ्रष्ट कर
लिया। अब क्या होगा?
=====
बच्चे का मासूम सवाल : माँ, मैने
तो एक बार ही उनके घर की
रोटी खाई,
तो मैं नीची जात का हो गया..!!
लेकिन वो लोग तो हमारे घर की रात
की बची रोटी बर्षो से खा रहे
हैं,
तो वो लोग ऊंची जात के क्यों नही हो
पाए ?

21 October, 2015

पांच किसान

एक कहानी जो आपके जीवन से जुडी है ।
ध्यान से अवश्य पढ़ें--
एक अतिश्रेष्ठ व्यक्ति थे
एक दिन उनके पास एक निर्धन आदमी आया और बोला की मुझे अपना खेत कुछ साल के लिये उधार दे दीजिये ,मैं उसमे खेती करूँगा और खेती करके कमाई करूँगा,
वह अतिश्रेष्ठ व्यक्ति बहुत दयालु थे
उन्होंने उस निर्धन व्यक्ति को अपना खेत दे दिया और साथ में पांच किसान भी सहायता के रूप में खेती करने को दिये और कहा की इन पांच किसानों को साथ में लेकर खेती करो, खेती करने में आसानी होगी,
इस से तुम और अच्छी फसल की खेती करके कमाई कर पाओगे।
वो निर्धन आदमी ये देख के बहुत खुश हुआ की उसको उधार में खेत भी मिल गया और साथ में पांच सहायक किसान भी मिल गये।
लेकिन वो आदमी अपनी इस ख़ुशी में बहुत खो गया,
और वह पांच किसान अपनी मर्ज़ी से खेती करने लगे और वह निर्धन आदमी अपनी ख़ुशी में डूबा रहा,
और जब फसल काटने का समय आया तो देखा की फसल बहुत ही ख़राब हुई थी , उन पांच किसानो ने खेत का उपयोग अच्छे से नहीं किया था न ही अच्छे बीज डाले ,जिससे फसल अच्छी हो सके |
जब वह अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति ने अपना खेत वापस माँगा तो वह निर्धन व्यक्ति रोता हुआ बोला की मैं बर्बाद हो गया , मैं अपनी ख़ुशी में डूबा रहा और इन पांच किसानो को नियंत्रण में न रख सका न ही इनसे अच्छी खेती करवा सका।
अब यहाँ ध्यान दीजियेगा-
वह अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति हैं -''मेरे सतगुरु"
निर्धन व्यक्ति हैं -"हम"
खेत है -"हमारा शरीर"
पांच किसान हैं हमारी इन्द्रियां--आँख,कान,नाक,जीभ और मन |
प्रभु ने हमें यह शरीर रुपी खेत अच्छी फसल(कर्म) करने को दिया है और हमें इन पांच किसानो को अर्थात इन्द्रियों को अपने नियंत्रण में रख कर कर्म करने चाहियें ,जिससे जब वो दयालु प्रभु जब ये शरीर वापस मांग कर हिसाब करें तो हमें रोना न पड़े।
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17 October, 2015

श्री गुरु ग्रंथ साहिब

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की खूबसूरत पंक्तियां :-
(Ek Onkar) - परमात्मा एक है।
(Satnam) - इसका नाम सत्य है।
(Kartaa Purakh)- यह पूरी दुनिया का निर्माता है।
(Nirbhau) - यह निडर है।
(Nirvair) - यह कभी किसी से नफरत नहीं करता।
(Akaal Murat) - यह समय से आगे है। यह अमर है।
(Ajooni) - यह न तो पैदा होता है और न ही मरता है।
(Saibhang) - न किसी ने इसको बनाया है।और न ही किसी ने इसे जन्म दिया। यह स्वयं समर्थ है।
(Gurparsad) - केवल सच्चा गुरु ही हमें इससे मिलने के लिए मदद कर सकता हैं।पूरा गुरू ही इसके दर्शन व दीदार करवा सकता है।

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...