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28 November, 2014

ऐ सतगुरू मेरे...
नज़रों को कुछ ऐसी खुदाई दे...
जिधर देखूँ उधर तू ही दिखाई दे...
कर दे ऐसी कृपा आज इस दास पे कि...
जब भी बैठूँ सिमरन में...

26 November, 2014

तेरी हर रेहमतो के सहारे हे जिन्दगी मेरी...
मेरी हर साँस मे हो इबादत तेरी...
कर क्रिपा तू ऐ दातार 
तेरे शब्दो पे निसार हो ज़िन्दगानी  मेरी...

25 November, 2014

छोटा बनके रहोगें तो, मिलेगी हर बड़ी रहमत दोस्तों
बड़ा होने पर तो माँ भी, गोद से उतार देती है……..!!
जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ बजती रहे……!!!

23 November, 2014

क्या बताएं यारो

क्या बताएं यारो कैसा ये खुदा  लगता है
जिस्म से रूह तक ये ही बसा लगता है।
जिनको मालूम नही उनके लिए कुछ न  हो बेशक
जिनको मालूम है उनको हर शख्स खुदा लगता है।
"उपवास करून जर
देव खूश होत असेल
तर या जगात कित्येक
दिवस उपाशी पोटी
असणारा भिखारी हा
सर्वात जास्त सुखी राहिला
असता."

22 November, 2014

कोई सानी नही तेरी रेहमतो के सागर का,

तूने एतबार दिया इंसान पर इंसान का,

धूल के कण भी न थे हम तेरी दुनिया के,

माथे का चंदन बना दिया इस संसार का,

कोई सजदा नही, 

तेरी याद का कोई फेरा नही,

फिर भी साॅसे चल रही है, 

ये भरोसा है बस तेरे प्यार का...

बस तेरे प्यार का...

मानव मन की अवस्था

मानव मन की अवस्था : 

रात के अँधेरे से डरते हें
निरंकार से क्यू नही..?
सपनो से डरते हें
सतगुरु से क्यू नही..?
बिच्छु से डरते हें
गुनाहों से क्यू नही..?
स्वर्ग में जाना चाहते हें
सत्संग में क्यू नही..?
रिश्वत देते हें
सेवा क्यू नही..?
मनमत पर चलते हें
गुरुमत पर क्यू नही..?
गाने गाते हें
सिमरन क्यू नही..?
सत्संग सुनते हें
अमल करते क्यू नही..?
Pal pal tarse the us pal ke liye ,
pal aaya bhi toh kuch pal ke liye ...
Socha tha us pal ko khubsoorat pal banaye ge 
par woh pal ruka bhi toh kuch pal ke liye..(Missing Samagam Days)

सतगुरु प्यारे

सतगुरु प्यारे इन्होने 
इतना बचाया हैं
हसने लगी ज़िन्दगी,
मन मुस्कुराया हैं
दिव्यदृष्टि देकर के,
अँधेरा मिटाया हैं
नज़रे नूरानी से,
स्वरुप दिखाया हैं
गिर गए थे हम तो,
गुरु ने उठाया हैं
अवगुण नहीं देखे,
गले से लगाया हैं
अनमोल खज़ाना देकर,
बादशाह बनाया हैं
विषयों के कीचड़ में,
गिरने से बचाया हैं
मुरझाया मन का चमन,
गुरु ने खिलाया हैं
भूल गए थे हसना,
गुरु ने हसाया हैं
संसार सागर से,
गुरु ने ताराया हैं
मन पर जन्मो से,
गफलत का पर्दा था
दुई का पर्दा हटा कर,
नींद से जगाया हैं
कैसे भूलूँ रहमत,
तन मन चमकाया है।।।।।।

16 November, 2014

तेरे संत है ये फरिशतों से कम
नही रहबर
इनमे रहने का सलीका सिखा दे
मुझको।                                
है छोटी सी ज़िन्दगी, तकरारें किस लिए...
रहो एक दूसरे के दिलों में यह दीवारें किस लिए ।

10 November, 2014

गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा, इस नु असां अपना लईए
छड नफ़्रत दी खटटी नु, असां प्रेम दी हटटी पा लईए
तोड फ़ोड ईर्षा अत्ते वैर दे भांडे, भाई चारे दा इक्‍क गुल्दस्ता बणा  लईए
इक दूजे दे जो बनण  सहारे, ऐसे फ़ुल्ल इस गुल्लदस्ते विच्च सजा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ..................................

दाते बखशी दात आसाँ नू हुसन ज़वानी अकलाँ दी
क्‍यों न इस तो कम लाईए असां, प्रेम मरियादा भग्ती दे
कर अपनी खवाईशा नु कम जो है इस विच्च शुक्र मना लाईए
करिए बार बार सजदा इस रब्ब नु, अपने तो निचले वल झाती ज़रा कु पा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ...................................

प्रेम दे ढ़ाई अक्षरा दे नाल,अपना जीवन सजा लईए
कॅड के नफ़रत अपने दिल्ला विच्चों प्रेम दी जोत जगा लईए
सुरिन्द्र बट सुतली अपने मॅन दी, विच प्यार दे मोती पा लेइए
एसी सुंदर माला दे नाल सतगुरु नाम ध्या लईए
गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा इस नू ...................................
 
_--- सेवक जी  

09 November, 2014

There is no greater religion than doing well to others, and no greater meanness than causing suffering to others.

07 November, 2014

Patience with self is confidence,
Patience with family is love,
Patience with others is respect,
Patience with god is Faith.

06 November, 2014

Divine Knowledge (Brahm Gyan) is the only way to peace, unity and universal brotherhood.

05 November, 2014

Human life is a precious gift of God. Do not waste it for the sake of materialistic pursuits.

01 November, 2014

All human beings are the children of God and constitute One Human Family (Universal Brotherhood); so all should live in peace and harmony.
Bhagti is internal flow and love is its external flow.
A devotee always gives credit for all his achievements & accomplishments to the Formless One
" The company of saints helps man make his life happy herein as well as hereafter. "
"Saints, God-knowledge is attained because of the benevolence of the True Master, but the faith on it is strengthened only in the company of Mahapurushas.  The more we attend Satsang, the more our mind becomes tranquil and peaceful; it becomes strong because it realizes that the omnipotent God, who is Formless, is ever-present with it.  It is only in Satsang, that the mind develops a firm faith that the bestower of all the happiness and bounties is God alone."

Wherever we go

"Wherever we go, we must have this passion in our hearts that we have to take Baba Ji’s message of Truth to each and every corner.  Wherever we go for our personal work, whether to a shop or to the office, we should start the topic of God-knowledge on our own."
“The widespread feelings of hatred, pride and animosity pollute the atmosphere and weaken the country too.”
“A devotee considers it his good fortune whenever he gets a chance to render service in any form.”
“This life is like lightning which vanishes in the blink of an eye. ”

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...