ऐ सतगुरू मेरे...
नज़रों को कुछ ऐसी खुदाई दे...
जिधर देखूँ उधर तू ही दिखाई दे...
कर दे ऐसी कृपा आज इस दास पे कि...
जब भी बैठूँ सिमरन में...
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28 November, 2014
26 November, 2014
25 November, 2014
23 November, 2014
क्या बताएं यारो
क्या बताएं यारो कैसा ये खुदा लगता है
जिस्म से रूह तक ये ही बसा लगता है।
जिनको मालूम नही उनके लिए कुछ न हो बेशक
जिनको मालूम है उनको हर शख्स खुदा लगता है।
22 November, 2014
मानव मन की अवस्था
मानव मन की अवस्था :
रात के अँधेरे से डरते हें
निरंकार से क्यू नही..?
सपनो से डरते हें
सतगुरु से क्यू नही..?
बिच्छु से डरते हें
गुनाहों से क्यू नही..?
स्वर्ग में जाना चाहते हें
सत्संग में क्यू नही..?
रिश्वत देते हें
सेवा क्यू नही..?
मनमत पर चलते हें
गुरुमत पर क्यू नही..?
गाने गाते हें
सिमरन क्यू नही..?
सत्संग सुनते हें
अमल करते क्यू नही..?
सतगुरु प्यारे
सतगुरु प्यारे इन्होने इतना बचाया हैं हसने लगी ज़िन्दगी, मन मुस्कुराया हैं दिव्यदृष्टि देकर के, अँधेरा मिटाया हैं नज़रे नूरानी से, स्वरुप दिखाया हैं गिर गए थे हम तो, गुरु ने उठाया हैं अवगुण नहीं देखे, गले से लगाया हैं अनमोल खज़ाना देकर, बादशाह बनाया हैं विषयों के कीचड़ में, गिरने से बचाया हैं मुरझाया मन का चमन, गुरु ने खिलाया हैं भूल गए थे हसना, गुरु ने हसाया हैं संसार सागर से, गुरु ने ताराया हैं मन पर जन्मो से, गफलत का पर्दा था दुई का पर्दा हटा कर, नींद से जगाया हैं कैसे भूलूँ रहमत, तन मन चमकाया है।।।।।।
16 November, 2014
11 November, 2014
10 November, 2014
गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा, इस नु असां अपना लईए
छड नफ़्रत दी खटटी नु, असां प्रेम दी हटटी पा लईए
तोड फ़ोड ईर्षा अत्ते वैर दे भांडे, भाई चारे दा इक्क गुल्दस्ता बणा लईए
इक दूजे दे जो बनण सहारे, ऐसे फ़ुल्ल इस गुल्लदस्ते विच्च सजा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ............................ ......
दाते बखशी दात आसाँ नू हुसन ज़वानी अकलाँ दी
क्यों न इस तो कम लाईए असां, प्रेम मरियादा भग्ती दे
कर अपनी खवाईशा नु कम जो है इस विच्च शुक्र मना लाईए
करिए बार बार सजदा इस रब्ब नु, अपने तो निचले वल झाती ज़रा कु पा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ............................ .......
प्रेम दे ढ़ाई अक्षरा दे नाल,अपना जीवन सजा लईए
कॅड के नफ़रत अपने दिल्ला विच्चों प्रेम दी जोत जगा लईए
सुरिन्द्र बट सुतली अपने मॅन दी, विच प्यार दे मोती पा लेइए
एसी सुंदर माला दे नाल सतगुरु नाम ध्या लईए
गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा इस नू ............................ .......
छड नफ़्रत दी खटटी नु, असां प्रेम दी हटटी पा लईए
तोड फ़ोड ईर्षा अत्ते वैर दे भांडे, भाई चारे दा इक्क गुल्दस्ता बणा लईए
इक दूजे दे जो बनण सहारे, ऐसे फ़ुल्ल इस गुल्लदस्ते विच्च सजा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ............................
दाते बखशी दात आसाँ नू हुसन ज़वानी अकलाँ दी
क्यों न इस तो कम लाईए असां, प्रेम मरियादा भग्ती दे
कर अपनी खवाईशा नु कम जो है इस विच्च शुक्र मना लाईए
करिए बार बार सजदा इस रब्ब नु, अपने तो निचले वल झाती ज़रा कु पा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नू ............................
प्रेम दे ढ़ाई अक्षरा दे नाल,अपना जीवन सजा लईए
कॅड के नफ़रत अपने दिल्ला विच्चों प्रेम दी जोत जगा लईए
सुरिन्द्र बट सुतली अपने मॅन दी, विच प्यार दे मोती पा लेइए
एसी सुंदर माला दे नाल सतगुरु नाम ध्या लईए
गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा इस नू ............................
_--- सेवक जी
09 November, 2014
07 November, 2014
06 November, 2014
05 November, 2014
01 November, 2014
"Saints, God-knowledge is attained because of the
benevolence of the True Master, but the faith on it is strengthened only in the company of
Mahapurushas. The more we attend Satsang, the
more our mind becomes tranquil and peaceful; it becomes strong because it realizes that
the omnipotent God, who is Formless, is ever-present with it. It is only in Satsang, that the mind develops a
firm faith that the bestower of all the happiness and bounties is God alone."
Wherever we go
"Wherever we go, we must have this
passion in our hearts that we have to take Baba Ji’s message of Truth to each and
every corner. Wherever we go for our personal
work, whether to a shop or to the office, we should start the topic of God-knowledge on
our own."
31 October, 2014
Teacher vs Guru
A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...
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Fikar kare wo BAWARE, Jikar kare wo SADH, Uth farida Jikar kar, Teri FIKAR KAREGA ye AAP.
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Sabar shanti te samdrishti sant jana da gehna hai ! sant jana da vadda jevar bhane andar rehna hai !! _AVTAR VANI-28
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तात मिले,पुनि मात मिले,सुत भरात मिले युवती सुखदाई , राज मिेले,गज बाज मिले,सब साज मिले,मनवांछित फल पाई , लोक मिलें,सुर लोक मिलें,विधि लोक मि...