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11 July, 2013

DHAN NIRANKAR JI SAINTS

Kisine kaha Bachpan ek bar milata hai khoob Khel Kood karle,
Kisine kaha Jawani ek bar milti hai khoob Enjoy karle,
Kisine kaha College life ek bar milti hai khoob Masti karle,
Lekin
Kabhi Kisi kisi ne ye nahi kaha ki Zindagi bhi Sirf Ek Baar
Milti hai Apne 'SATGURU' ko yaad karle,
Iski Pehchan karle,
'Bhajan-Simran-Satsang' karle....

10 July, 2013

DHAN NIRANKAR JI SAINTS

NIRANKARI DEFINATION ....?

Nirankar + I = Nirankari.
Means jisane apani I (main/ego) ko
is nirankar mein merge kar diya ho...
Apani main ko khatam karke
is 'TU' mein sama jaye...
vahi nirankari awastha mubarak hai.

Dhan Nirankar Ji

08 July, 2013

"Do not fix your words with your mood, you will have many option to change the mood, but you will not get any chance to replace the spoken words."

"Do not fix your words with your mood,
you will have many option to change the mood,
but you will not get any chance to replace the spoken words."

26 June, 2013

DHAN NIRANKAR JI SAINTS
'DUA' KARNA NAHI AATA MAGAR YE
'ILTIJA' HAI BAS..,
JAHAN PER 'SAYA' TERA HO
WAHAN PER 'GHAM' NAHI AAYE..!!
KISI KO QURAN ME IMAN NA MILA,
KISI KO GITA ME GYAN NA MILA,
KISI KO GRANTH SAHIB ME SATNAM NA MILA,
US BANDE KO ASMAN ME KYA RAB MILEGA,
JISE INSAN ME INSAN NA MILA.

20 June, 2013

Mashur Hona par Magrur na Hona,
Kamyabi ke liye kabhi Chur na Hona,
Mil Jayegi Aapko Khusyia saari yhi par,
Bas Kabhi Sewa, Simran , Satsang se dur na Hona.............
Dhan Nirankar ji.......

16 June, 2013

“Peace cannot be attained by amassing wealth; Peace cannot be attained by watching dance and drama; Peace cannot be attained by visiting distant countries for making money; Peace lies in knowing and singing glory of God in the fellowship of saints.” be a part of universal brotherhood.....
Bhakti me Paripurnta ke kamyabi tak pahuchane wale Raste kabhi sidhe nahi hote hai. We Ninda, Nafart, Vair, Virodh, is se hi bhare huye rahte hai.
Lekin Vidhi ka vidhan itna to pakka hota hai ki,
Ek bar Puran kamyabi mil jaye to uske bad sare ke raste Apne Aap Sidhe ho jate hai.
Is liye ek saccha Bhakt bich me aanewale Tede Medhe Rasto ko thik ya sidhe karne se jada, ya bich me aane wali rukawat me ulazkar rahne se jada,
Satguru Babaji jo hume har hal me khush rahne wala Rajmarg dikha rahe hai usko apnate huye jaldi se jaldi Apni Purnata ke kamyabi ko prapt karta hai.
Is karan uske Bhakti ke sirf raste hi nahi balki Ihlok tatha Parlok ka pura jivan hi sidha aur saral ho jata hai.
Aur jo Tedhe Medhe Rasto me hi ulazkar reh jate hai we manzil ko pane me kabhi Kamyab nahi hote hai.
Bandgi mili mujhe rehmat se teri he bandanawaaj,
warna main nimaani tou kisi bhi yog na thi,
Do taliyon bich huye deedar hasti-e-lafaani ke,
mere mursad naacheej tou iss kaabil na thi..

15 June, 2013

APNO KO TO HAR KOI HASATA HAI ...................
GERO KO HASAO TO BAAT BANE..........
DHAN NIRANKAR JI ALL SANTS....
Duniya Ki Har Khushi Se Aapki
Mulakat Ho
Khubsurat Har "Din"
Khushnuma Har "Raat" Ho
A “NIRANKAR “Jab Jab Bhi
Khushiya Batne Ko Lagge
TO Har Din KI Shurwat Apse Hi
Ho………
Dhan nirankar ji ....
 INSAAN 'MAKAN' BADALTA,
'DUKAN' BADALTA,
'PARIDHAN' BADALTA,
'RISHTE' BADALTA,
'DOST' BADALTA,
PHIR BHI WO APANA SWABHAV NAHI BADALTA...

06 June, 2013

ज़र्रे ज़र्रे में उसका नूर है
झाँक खुद में......!!!! वो ना तुझसे दूर है
इश्क है उस से तो सबसे इश्क़ कर - इश्क़ है उस से तो सबसे इश्क़ कर..!!!
इस इबादत का यही दस्तूर है...
 
Jab Aapko Yaqeen Ho Ke Satguru Hamesha Aapke Sath Hai..
To Is Se Koi Farq Nahi Parta K Kaun Kaun Aapke Khilaaf Hai.
 If you believe that god is with you, it is not matter that who are against you.
Fanaa itna ho jaun teri ibadat me mere huzoor ki
jo mujhe dekhe usse tujhse mohabbat ho jaye. . .
प्यार दी दुनिया दे विच सभ तों पियारा इशक़ है
नज़र लई सभ तों सोहना, इको नज़ारा इशक़ है I
है इशक़ रहमत रब दी ते रहमतां दा नूर है
इशक़ ही है खुद खुदा, उसदी खुदाई इशक़ है I

If,
A = 1 ; B = 2 ; C = 3 ; D = 4 ;
E = 5 ; F = 6 ; G = 7 ; H = 8 ;
I = 9 ; J = 10 ; K = 11 ; L = 12 ;
M = 13 ; N = 14 ; O = 15 ; P = 16 ;
Q = 17 ; R = 18 ; S = 19 ; T = 20 ;
U = 21 ; V = 22 ; W = 23 ; X =24 ;
Y = 25 ; Z = 26.

With each alphabet getting a number, in chronological order, as above, study the following, and bring down the total to a single digit and see the result yourself
N I R A N K A R =
14+9+18+1+14+11+1+18= 86= 8+6 = 14 = 1+4 = 5

N I R A N K A R I =
14+9+18+1+14+11+1+18+9 = 95 = 9+5 = 14 = 1+4 = 5

Each one ends with number 5
THAT IS NATURE'S CREATION TO SHOW THAT HUMAN IS MADE BY NIRANKAR (5 Elements) TO BECOME NIRANKARI ( Who follow 5 pledges)
Because 5+5 = 10 (Brahm )= 1+0 = 1 (Ek ko Jano, Ek ko Maano, Ek ho Jaao)
Dhan Nirankar Ji

20 April, 2013

Dharm Jodta Hai, Todta Nahi....

Religion Unites Never divides..
                    
                              - Nirankari BABAJI

84 लाख योनियां

जानिए क्या हैं 84 लाख योनियां
जानिए सृष्टि के चार युग
Webdunia



हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म पाती है। 84 लाख योनियां निम्नानुसार मानी गई हैं।

* पेड़-पौधे - 30 लाख

* कीड़े-मकौड़े - 27 लाख

* पक्षी - 14 लाख

* पानी के जीव-जंतु - 9 लाख

* देवता, मनुष्य, पशु - 4 लाख

कुल योनियां - 84 लाख।

Sikhism : गुरु नानकदेवजी के दस प्रमुख सिद्धांत

गुरु नानकदेवजी के दस प्रमुख सिद्धांत

गुरूनानक देव जी ने अपने अनु‍यायियों को जीवन के दस सिद्धांत दिए थे। यह सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है।

1. ईश्वर एक है।

2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।

3. जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।

4. सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।

5. ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।

6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएँ।

7. सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता माँगना चाहिए।

8. मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।

9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।

10. भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।

बौद्ध धर्मकल्याण

करणीयमत्व कुमलेन यं तं सन्तं पदं अभिसमेच्च।
सक्को उचू च सूज च सुवचो चस्स मृदु अनतिमानी॥1॥

सतुन्स्सको न सुमरो च अप्पकिच्चो च सल्लहुकवुत्ति।
सन्तिन्द्रियो च निपको च अप्पगब्भो कुलेसु अननुगिद्धो॥2॥

बौद्ध धर्म कहता है कि जो आदमी शांत पद चाहता है, जो कल्याण करने में कुशल है, उसे चाहिए कि वह योग्य और परम सरल बने। उसकी बातें सुंदर, मीठी और नम्रता से भरी हों। उसे संतोषी होना चाहिए। उसका पोषण सहज होना चाहिए। कामों में उसे ज्यादा फँसा नहीं होना चाहिए। उसका जीवन सादा हो। उसकी इंद्रियाँ शांत हों। वह चतुर हो। वह ढीठ न हो। किसी कुल में उसकी आसक्ति नहीं होनी चाहिए।

न च खुद्द समाचरे किञ्चि येन विञ्चू परे उपवदेय्युं।
सुखिनो वा खेमिनो होन्तु सव्वे सत्ता भवन्तु सुखितत्ता॥3॥

वह ऐसा कोई छोटे से छोटा काम भी न करे, जिसके लिए दूसरे जानकार लोग उसे दोष दें। उसके मन में ऐसी भावना होनी चाहिए कि सब प्राणी सुखी हों, सबका कल्याण हो, सभी अच्छी तरह रहें।

ये केचि पाणभूतत्थि तसा वा थावरा वा अनबसेसा।
दीघा वा ये महंता वा मज्झिमा रस्सकाऽणुकथूला॥4॥

दिट्ठा वा येव अद्दिट्ठा ये च दूरे वसन्ति अविदूरे।
भूता वा संभवेसी वा सब्बे सत्ता भवन्ति सुखितत्ता॥5॥

जितने भी प्राणी हैं, फिर वे जंगम हों या स्थावर, बड़े हों या छोटे, बहुत महीन हों या स्थूल, दिखाई पड़ते हों या न दिखाई पड़ते हों, दूर हों या निकट, पैदा हुए हों या होने वाले हों, सबके सब सुखी रहें।

न परो परं निकुब्बेथ नातिमञ्ञेथ कत्थचिनं कञ्चि।
व्यारोसना पटिघसञ्ञा नाञ्ञमञ्ञस्स दुक्खमिच्छेय्य॥6॥

कोई किसी को न ठगे। कोई किसी का अपमान न करे। वैर या विरोध से एक-दूसरे के दुःख की इच्छा न करें।

माता यथा नियं पुत्त आयुमा एक पुत्त-मनुरक्खे।
एवऽपि सब्बभूतेसु मानस भावये अपरिमाणं॥7॥

माता जैसे अपनी जान की परवाह न कर अपने इकलौते बेटे की रक्षा करती है, उसी तरह मनुष्य सभी प्राणियों के प्रति असीम प्रेमभाव बढ़ाए।

मेत्त च सब्बलोकस्मिं मानसं भावये अपरिमाणं।
उद्ध अधो च तिरियं च असबाधं अवेर असपत्त॥8॥

बिना बाधा के, बिना वैर या शत्रुता के मनुष्य ऊपर-नीचे, इधर-उधर सारे संसार के प्रति असीम प्रेम बढ़ाए।

तिट्ठं चर निसिन्नो वा सायानो वा यावतस्स विगतमिद्धो।
एतं सतिं अधिट्ठेय्य ब्रह्ममेतं विहारं इधमाहु॥9॥

खड़ा हो चाहे चलता हो, बैठा हो चाहे लेटा हो, जब तक मनुष्य जागता है, तब तक उसे ऐसी ही स्मृति बनाए रखनी चाहिए। इसी का नाम है, ब्रह्म-विहार।

दिट्ठि च अनुपगम्म सीलवा दस्सनेन सपन्नो।
कामेसु विनेय्य गेधं न हि जातु गब्भसेय्यं पुनरेतीति॥10॥

ऐसा मनुष्य किसी मिथ्या दृष्टि में नहीं पड़ता। शीलवान व शुद्ध दर्शनवाला होकर वह काम, तृष्णा का नाश कर डालता है। उसका पुनर्जन्म नहीं होता।

कल्याण की इच्छा : Bhagvat gita.

कल्याण की इच्छा वाले मनुष्यों को उचित है कि मोह का त्याग कर अतिशय श्रद्धा-भक्तिपूर्वक अपने बच्चों को अर्थ और भाव के साथ श्रीगीताजी का अध्ययन कराएँ।

स्वयं भी इसका पठन और मनन करते हुए भगवान की आज्ञानुसार साधन करने में समर्थ हो जाएँ क्योंकि अतिदुर्लभ मनुष्य शरीर को प्राप्त होकर अपने अमूल्य समय का एक क्षण भी दु:खमूलक क्षणभंगुर भोगों के भोगने में नष्ट करना उचित नहीं है।

गीताजी का पाठ आरंभ करने से पूर्व निम्न श्लोक को भावार्थ सहित पढ़कर श्रीहरिविष्णु का ध्यान करें--

अथ ध्यानम्
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

भावार्थ : जिनकी आकृति अतिशय शांत है, जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ।

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।
भावार्थ : ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्‍गण दिव्य स्तोत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते हैं, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगीजन ध्यान में स्थित तद्‍गत हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुर गण (कोई भी) जिनके अन्त को नहीं जानते, उन (परमपुरुष नारायण) देव के लिए मेरा नमस्कार है।

कुरआन में परोपकार की शिक्षा


कुरआन में परोपकार की शिक्षा बार-बार आई है। जकात देने को अनिवार्य किया गया है जिसके द्वारा गरीबों की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया गया है। कुरआन ईश्वरीय पुस्तक है कोई अनुमानित बात नहीं है।

हजरत मोहम्मद (स.) ने अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला। शहर के लोग जब यात्रा पर जाते हैं तो अपने माल-असबाब आपके पास अमानत के रूप में रख जाते हैं। और वापस आते हैं तो उसी स्थिति में या उससे बेहतर स्थिति में अपनी अमानत वापस पाते हैं। ऐसा अमानतदार व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता, अल्लाह का पैगम्बर ही हो सकता है। सभी धर्म एक हैं केवल रास्ते अलग-अलग हैं। ईश्वर सबके लिए है, हजरत मोहम्मद सबके लिए हैं। कुरआन सबके लिए है। मरने के बाद जीवन का अंत नहीं होता, बल्कि एक बड़ा और अनंत जीवन प्रारंभ होता है।

यदि किसी ने हजारों कत्ल किए हो तो उसे इस जीवन में केवल एक बार फाँसी दी जा सकती है। किसी ने बहुत पुण्य के कार्य किए हो तो उसका पुरस्कार यहाँ नहीं मिल सकता। इन सबका बदला परलौकिक जीवन में मिलेगा।

जीवन एक परीक्षा है। इस परीक्षा का प्रतिफल परलोक में मिलेगा। हमारी आवश्यकताओं के अनुसार ही यह जीवन विधान यानी कुरआन अल्लाह ने हमें दिया है।

पवित्र बाइबिल का संदेश

पवित्र बाइबिल का संदेश
बाइबिल के पवित्र विचार



* भलाई से बुराई को जीतो।
* बुराई को अपने ऊपर हावी मत होने दो।
* जो कोई दया करे, वह हंसी-खुशी के साथ दया करें।
* प्रेम में कोई कष्ट नहीं होना चाहिए।
* बुराई से घृणा करनी चाहिए।
* भलाई में लगे रहना चाहिए।
* एक-दूसरे के साथ भाईचारे का प्रेम करना चाहिए।
* एक-दूसरे का आदर करने में होड़ करनी चाहिए।
* प्रयत्न करने में आलस नहीं करना चाहिए।
* आशा में प्रसन्न रहो। दुःख में स्थिर रहो।
* सज्जनों की सहायता करो। अतिथियों की सेवा करो।
* सताने वालों को आशीर्वाद दो।
* हंसने वालों के साथ हंसो। रोने वालों के साथ रोओ।
* बुराई के बदले बुराई न करो।
* भले काम करो। सबसे मेल रखो।
* किसी से बदला मत लो।
* तुम्हारा शत्रु भूखा हो, तो उसे खाना खिलाओ।
* प्यासा हो, तो पानी पिलाओ।
* जो कोई दान दे, वह सिधाई के सात दान दें।

17 April, 2013

Understand your darkness and it will vanish; then you will know what light is. Understand your nightmare for what it is and it will stop; then you will wake up to reality. Understand your false beliefs and they will drop; then you will know the taste of happiness. -Anthony De Mello

Hope

Hope is the thing with feathers that perches in the soul
and sings the tune without the words,
and never stops at all."

13 February, 2013

Jis da pakh karen tu swaami us di howe jai jai kaar.
Jis da pakh karen tu swaami us nu KOI na skke maar.

saari duniya VAS vich tere tu bhagtaan de vas kartaar.
apna kitta aape jaane Daasndaas kahe Avtar.

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...