रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो
,
खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी
तुम अपने हाथ में किरदार की किताबरखो,
....उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी....
..उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो,..
.मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें..
..महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो,.
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो
,
खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी
तुम अपने हाथ में किरदार की किताबरखो,
....उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी....
..उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो,..
.मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें..
..महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो,.