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22 September, 2016

दिन की शुरुआत

चलिए दिन की शुरुआत कर लेते है
अपने मुर्शद को याद कर लेते है।
टेक लेते हैं माथा इसके चरणों में
अपनी दुनियाँ आबाद कर लेते है।
माना कि ढेर लगा है दिन भर के कामो का
मगर सब के सब इसके बाद कर लेते है।
इसने तो दिला दी है आजादी जन्म मरण से हमको
हम मनमत से खुद को आजाद कर लेते है।

धन निरंकार जी 🙏

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