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02 April, 2017

सफर की शुरुआत

"जो सफर की शुरुआत 'सत्संग' से करते हैं।
"सतगुरु" उनके जीवन में 'खुशियों' के रंग भरते हैं।

जो सफर की शुरुवात 'सेवा' से करते हैं,
उनके चेहरों पर खुशियों के 'फूल' खिलते हैं।

और जो सफर की शुरुवात "सिमरण" से करते हैं,
वो सतगुरु के पावन "चरणों" में रहते हैं। .

प्यार के पल जाे हमे सतगुरु से मिले उसका एहसास ही काफी है .
बाकी जिदंगी शुकराने मे निकल जाए .यही अरदास ही काफी है

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...