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09 March, 2012

पहचान ले सच की डगरिया, गुरु ज्ञान है सब की नगरिया.
जान ले खुद को अपने खुदा को, बीती जाये उमारिया.

ईश्वर एक है, नाम है अनेको.
वैसा दिखे जैसा इसे देखो.
मेरा हर किर-दार इतना असर-दार हो जाए
मुझे जानने वाला, हर कोई खबर-दार हो जाए
की- ये, "जी" रहा है, जिसकी रह-नुमाई से
उसके "दी-दार" का हर कोई "तलब-गार" हो जाए
मेरा हर किर-दार इतना असर-दार हो जाए -२
सोच सब की एक जैसी हो ये जरुरी तो नहीं,
खुद को खुद की खबर हो ये जरुरी तो नहीं.
लोग करते तो है बिन ज्ञान(दिन-रात) प्रभु क सजदे, लेकिन 
उनके सजदो में असर हो ये जरुरी तो नहीं.
ईश्वर एक है नाम अनेको इसके है रूप हजार
बिन साकार के इस निरंकार का होता नहीं दीदार.

तन का सजाना ठीक है लेकिन मन का भी रूप सवार
तन के रोग तो थोड़े है पर मन के है रोग हजार.

झूटी चमक में खोया रहा जग सच को कभी नहीं जाना
जिसने बनाई सब श्रिष्टी ये ईश्वर न पहचाना
दुनिया भवर है मन है नैया और सतगुरु पतवार
इस पतवार के बिना है मन तू हो न सकेगा पार

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...