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09 March, 2012

ईश्वर एक है नाम अनेको इसके है रूप हजार
बिन साकार के इस निरंकार का होता नहीं दीदार.

तन का सजाना ठीक है लेकिन मन का भी रूप सवार
तन के रोग तो थोड़े है पर मन के है रोग हजार.

झूटी चमक में खोया रहा जग सच को कभी नहीं जाना
जिसने बनाई सब श्रिष्टी ये ईश्वर न पहचाना
दुनिया भवर है मन है नैया और सतगुरु पतवार
इस पतवार के बिना है मन तू हो न सकेगा पार

Teacher vs Guru

A Teacher instructs you, a Guru constructs you. A Teacher sharpens your mind, a Guru opens your mind. A Teacher answers your question, a Gur...