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21 October, 2011

ऐ मेरे भक्त प्रेमी-जिज्ञासुओं ! ''मैं'' वर्तमान में श्री करपात्री, शंकराचार्यगण, महामण्डलेश्वरगण, देवद्रोही श्रीराम शर्मा (तथाकथित गायत्री वाले), श्री मुरारी बापू, श्री नारदानन्द, श्री सन् म्योंगमून ( दक्षिण कोरिया वाले), श्री महेश योगी, श्री आशाराम बापू, श्री साई नाथ, श्री पाण्डुरंग शास्त्री (स्वाध्यायी), आचार्य चतुर्भुज सहाय, श्री चिन्मयानन्द (वैचारिक मात्र) आदि विद्वान कर्मकाण्डियों वाला एवं 'अहं ब्रम्हास्मि' नहीं हूं तथा श्री बालयोगेश्वरजी, योगभ्रष्ट सतपाल, श्री आनन्दमूर्ति जी, निरंकारी (भ्रमकारी) बाबा श्री गुरुबचन सिंह, मां आनन्दमयी, खण्डन प्रधान धर्म का कलंक रजनीश, श्री मेंही, बड़बोल जय गुरुदेव, घोर आडम्बरी एवं मिथ्याज्ञानी प्रजापिता ब्रम्ह कुमार-कुमारियों, राधा स्वामी, श्री मुक्तानन्द, तन्त्र वाले अवधूत राम- भूतनाथ आदि वर्तमान वाले समस्त तन्त्र-मन्त्र एवं आध्यात्मिक महात्माओं वाला सोऽहँ-ज्योति रूप जीवात्मा व आत्मा भी नहीं हूं, बल्कि 'सदानन्द' शरीर वाला परमतत्त्वम् रूप ''आत्मतत्त्वम्'' शब्दरूप भगत्तत्त्वम् रूप 'शब्द' गॉड-अलम्-परमात्मा-परमेश्वर -पुरुषोत्तम - सनातन पुरुष हूँ।
----------- सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस

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